जय अग्रसेन हरे, स्वामी जय श्री अग्रसेन हरे। कोटि-कोटि वंदन मस्तक, सादर नमन करें। ॐ जय श्री अय हरे…………. आभा शुक्ला एकम, चुप वल्लम जाए। स्वामी वल्लम घर आए, अग्रसेन संस्थापक, नागवंश प्याए। ॐ जय श्री अय हरे…………. केसारिया ध्वज फहरें, छत्र चंवरशोर। स्वामी छत्र चंवरधारी। झाड़, नकौरी, नीवत बाजत तब ढरें। ॐ जय श्री अय हरे…………. अयोध्या राजधानी, इन्द्र शरण आए। प्रभु इन्द्र शरण आए। गोंड अहार अब तक तेरे गुण गाए। ॐ जय श्री अय हरे…………. सत्य, अहिंसा पालक, दया, नीति, समता। प्रभु न्याय नीति समता। छः रूपों की शील, प्रकट करें ममता। ॐ जय श्री अय हरे…………. ब्रह्मा, विष्णु, शंकर, स्वामी वर सिंहां दीला। स्वामी वर सिंहां दीला। कुलदीपी महापावन, वैश्य तन कीला। ॐ जय श्री अय हरे…………. अग्रसेन जी की आरती, जो कोई नर गाए। स्वामी जो कोई नर गाए। कहत त्रिलोक विश्वास से, इच्छित फल पाए। ॐ जय श्री अय हरे………….